बहुत दिन बाद आया हूं,
फिर भी लड़ना मै न भुला हूं,
भले याद नहीं हैं जंग ए मैदान,
भी लक्ष्य को मै न भूला हूं,
आज फिर नए मैदान पर आया हूं,
आंखों में सपने भरकर लाया हूं,
खाली न जाऊंगा इस बार मै,
जीत की सौगंध खाकर आया हूं,
मत समझना कमजोर मुझे,
आ मुश्किल फिर से झकझोर मुझे,
लडूंगा जब तक मेरी जीत नहीं,
इस बार खुद हरना होगा तुझे,
तू आएगी अपना डंका बजकर,
मै तैयार मिलूंगा अपनी कमर कसकर,
तू मुश्किल मै मुसाफिर आज होगी तुझे ही मुश्किल,
युद्ध होगा अपने बीच जमकर,
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