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"आज भी याद आएं"

वो पुरानी यादें,
वो हसीन बातें,
वो तेरे घर की राहें,
वो सब आज भी याद आएं,

वो मेरी बाहों में तेरी बाहें,
कभी मेरे तो कभी तेरे घर की राहें,
ना जाने कितने लम्हों की यादें,
वो सब आज भी याद आएं,

घंटों हमने कितना साथ बिताया,
कभी हमने तो कभी तुमने अपना हाल सुनाया,
याद है तुम्हे जब मैं था तुम पर बौराया,
वो सब मुझे आज भी याद आएं,

वो मेरा तेरी छत पे चुपके से आना,
फिर तुझे ऊपर फोन करके बुलाना,
डैडी घर में हैं तेरा यह मुझे बताना,
वो सब बातें मुझे आज भी याद आएं,

तेरा चुपके से छत में आना,
चिड़ियों को दाना देने की बात मां से कहना,
फिर हमारा घंटों बतियाना,
वो बातें मुझे आज भी याद आएं,

ज़िक्र तेरा अकेले में करता हूं,
आज भी तुझसे मिलना चाहता हूं,
तभी तो आज फिर से तेरी गली से गुजरा हूं,
वो सब मुझे आज भी याद आएं,

आ जाना मेरी उस गली के मंदिर में,
तूने ही कहा था अपने खत में,
लो आ गया अब खड़ा हूं बस तेरे इंतज़ार में,
अब तेरी यादें मुझे और भी आएं,

देर ना करना तुमने ही बोला था,
सुबह से शाम हो गई तुम न आए मैं वहीं था,
ना आना था तो मिलने को क्यों बुलाया था,
मैं अगले दिन भी वहीं खड़ा हुआ था,

राहत शाहब आपने सही ही बोला था,
कि बुलाती है मगर जाने का नहीं,
बुला लेगी तुम्हें पर वह खुद आयेगी नहीं,
मैं तो पहुंच गया वहां वो आयी नहीं,

अच्छा हुआ दो दिन ही बरबाद हुए पूरी जिन्दगी नहीं,
अलग कर दिया तुम्हें अब हम कभी मिलेंगे नहीं,
चाहे अब कोई कितना भी बुलाए मै जाऊंगा नहीं,
सब कुछ भुला दूंगा पर मुस्कुराना नहीं,

भले मैं शायर बन जाऊं पर मैं रोऊंगा नहीं,
मेरी भी दुनिया है बस तेरी ही नहीं,
देखो शायर भले हूं मैं पर बेवफा नहीं,
सब कुछ भुला दूंगा पर मुस्कुराना नहीं।।




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