1. जुदाई में तो उसे, हम अब भी याद करते हैं,
अकेले होकर के भी, उसे हम अपने संग पाते हैं,
मेरे प्यार के बदले मुझे, उसने दिया है धोखा - ए - सनम,
पर हम अपनी सच्ची मोहब्बत को, भूल ना पाते हैं।
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2. दर्द - ए - दिल उसका हम संग लेके जाते हैं,
मुसाफिर हैं कहां पीछे लौटने को आते हैं,
जब पूछता है कोई की यह घाव कैसा है,
हम अपने आप को सनम - ए - गूंगा बताते हैं।
अकेले होकर के भी, उसे हम अपने संग पाते हैं,
मेरे प्यार के बदले मुझे, उसने दिया है धोखा - ए - सनम,
पर हम अपनी सच्ची मोहब्बत को, भूल ना पाते हैं।
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2. दर्द - ए - दिल उसका हम संग लेके जाते हैं,
मुसाफिर हैं कहां पीछे लौटने को आते हैं,
जब पूछता है कोई की यह घाव कैसा है,
हम अपने आप को सनम - ए - गूंगा बताते हैं।
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