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"दो रास्ते"

गमों से रूबरू होने के बाद, मेरे पास दो रास्ते हैं, एक की इन्हीं गमों में डूबकर मर जाऊं, दूसरा की इन्हीं गमों को ढाल बनाकर, आज मैं कुछ कर जाऊं, आज मैं कुछ कर जाऊं। हार मानना मेरी फितरत में नहीं, मरना अभी मुझे मंजूर नहीं, तुरन्त कर रहा मै लड़ना शुरू अब मुझे कल तक रुकना नहीं।। रास्ते में रुकावटें आयेंगी, आने दो, चोटें लगेंगे बदन पे , लगने दो, शुरू कर दी है यात्रा अपनी , गति अपनी रोकना नहीं, आगे चलने दो। रास आती हैं मुझे चुनौतियां, मेरा जुझारू रूप देख ले दुनिया, तोड़कर आज़ाद हो जाऊंगा मैं, भले डाल दो मेरे तुम बेड़ियां।। लड़ने की कला सीख ली है मैंने, जीतने का मंत्र ले लिया है मैंने, हार, विरोध तो सब बहाने हैं, खुद हारकर भी जंग जीत ली है मैंने।।